Best Bhimrupi Maharudra Shlok Pdf Download

Bhimrupi Maharudra Shlok pdf एक बहुत ही शानदार १७ मंत्रो का संघ्रह कहलाने वाला pdf है | जिसको Maruti Stotra pdf भी कहते हैं | Bhimrupi Maharudra श्लोकों के रचयिता छत्रपति शिवाजी के महान गुरु समर्थ रामदास जी थे | महाराष्ट्र में पले-बढ़े होने के नाते इन्होने इसे मराठी भाषा में लिखा था |

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Shri Bhimrupi Maharudra Shlok Pdf Download:

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Bhimrupi Maharudra Ke Fayde:

दोस्तों, आपलोग सोच रहे होंगे कि Bhimrupi Maharudra का पाठ करने के फायदे क्या-हैं ? तो दोस्तों, मै आपको बता दू कि इस भिमरूपी महारुद्र स्तोत्र को मारुती स्तोत्र भी कहा जाता है और इस स्तोत्र के आरम्भ के १३ श्लोकों में हनुमान जी का गुणगान किया गया है | यदि आप अन्त के ४ श्लोक पढ़े तो आपको स्वयं पता चल जायेगा कि इसके कितने फायदे हैं | फिर भी मै आपको बता देता हूँ |

वैसे तो इसका पाठ करने के फायदे अनेक हैं जैसे-१.भूत प्रेत एवं रोग व्याधि से छुटकारा मिलाता है | २.धन में बृद्धि होती है | ३.वंश की बृद्धि होती है | ४. चिंता से मुक्ति मिलती है | ५. ग्रह-दोषों का निवारण होता है आदि ऐसे अनेक फायदे हैं |

Bhimrupi Maharudra Lyrics:

भीमरुपी महारुद्रा वज्र हनुमान मारुती |

वानरी अंजनीसुता रामदूता प्रभंजना ||१||

महाबली प्राणदाता सकलां उठावी बलें |

सौख्यकारी दुखहारी दूत वैष्णव गायका ||२||

दिननाथा हरिरुपा सुंदरा जगदान्तरा |

पातालदेवताहन्ता भव्यसिंदूर लेपणा ||३||

लोकनाथा जगन्नाथा प्राणनाथ पुरातना |

पुन्यवंता पुन्यशिला, पावणा पारितोषिका ||४||

ध्वजांगे उचली बाहो आवेशें लोटला पुढे |

कालाग्नी कालरुद्राग्नी देखतां कापती भएँ ||५||

ब्रह्मांडे माइली नेडों, आंवले दंत्पंगति |

नेत्राग्नि चालिल्या ज्वाला भ्रुकुटी ताठिल्या बलें ||६||

पुच्छ ते मुरडिले माथा किरीटी कुण्डले बरीं |

सुवर्ण कटी कन्सोटी घंटा किंकिणी नागरा ||७||

ठकारे पर्वता ऐसा नेटका सडपातलू |

चपलांग पाहतां मोठे महाविद्धुल्लतेपरी ||८||

कोटीच्या कोटि उद्धाने झेपावे उतरेकडे |

मन्द्राद्रीसारिखा द्रोनू क्रोधे उत्पाटीला बलें ||९||

आणिला मागुतीं नेला आला गेला मनोगति |

मनासी टाकिलें मांगे गतिसी तुलणा नसे ||१०||

अणुपासोनि ब्रह्मंडाएवढा होत जातसे |

तयासी तुलणा कोठे मेरु मंदार धाकूटे ||११||

ब्रह्मंडा भोवते वेढे, वज्र पुच्छे करू शके |

तयासी तुलणा कैची, ब्राहमडी पाहता नसे ||१२||

आरक्त देखिले डोला ग्रासिले सूर्य मंडला |

वाढतां-२ वाढे भेदिले शुन्यमंडला ||१३||

धन-धान्य पशूवृद्धि, पुत्र-पौत्र संग्रही |

पावती रूप विद्द्यादी स्तोत्र पाठे करुनिया ||१४||

भूतप्रेत सम्नधादी, रोग-व्याधि समस्तही |

नासति टूटती चिंता आनन्दे भिमदर्शने ||१५||

हे धरा पंधरा श्लोकी लाभली शोभाली बरी |

दृढ़देहो निसंदेहो संख्या चन्द्रकला गुणे ||१६||

रामदासी अग्रगन्यु, कपिकुलासी मंदणु |

अंतरात्मा दर्शने दोष नासती ||१७||

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