Ayigiri Nandini Nanditha Medini Lyrics In Hindi – अयिगिरी नंदिनी

Ayigiri Nandini Nanditha Medini Lyrics In Hindi को महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र भी कहते हैं | अयिगिरि नंदिनी स्तोत्र का महत्व नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा में अत्यधिक होता है । इसकी रचना आदि शंकराचार्य और श्री रामकृष्ण कवि के द्वारा किया गया है।

Ayigiri Nandini Nanditha Medini Lyrics In Hindi:

इस पोस्ट में अयिगिरी नंदिनी लिरिक्स का Pdf & Image भी संलग्न है | जिसे आप free में download कर सकते हैं और नवरात्रि में मां दुर्गा का पुजा पाठ कर सकते हैं।

Ayigiri Nandini Nanditha Medini Lyrics In Hindi:

अयि गिरि नंदिनि नन्दित मेदिनि विश्व विनोदिनि नंदिनुते |

गिरिवर विन्ध्यशिरो अधिनिवासिनि विष्णु विलासिनि जिष्णुनुते |

भगवति हे शिति कंठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भुरिकृते |

जय जय हे महिषासुर मर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ||

सुरवर वर्षिणि दुर्धर धर्षिणि दुर्मुख मर्षिणि हर्षरते |

त्रिभुवन पोषिणि षड्करतोषिणि किल्बिषमोषिणि घोषरते |

दनुजनिरोषिणि दितिमुतरोषिणि दुर्मदशोषिणि सिंधुसुते |

जय जय हे महिषासुर मर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ||

अयि जगदम्ब मदम्ब कदम्ब वन प्रियवासिनी हासरते |

खरि शिरोमणि तुंग हिमालय श्रृंगनिजालय मध्यगते |

मधु मधुरे मधुकैट भगज्जिनि कैट भभज्जिनि रासरते |

जय जय हे महिषासुर मर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ||

अयि शतखंड विखंडितरुण्ड वितुन्दितशुन्द गजाधिपते |

रिपु गजगंड विदारणचन्ड पराक्रमशुण्ड म्रिगाधिपते |

निजभुजदंड निपातितखंड विपातितमुंड भटाधिपते |

जय जय हे महिषासुर मर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ||

अयि रनदुर्मद शत्रु वधोदित दुर्धरनिर्जर शक्तिभृते |

चतुरविचार धुरीण महाशिव दूत कृत प्रमथाधिपते |

दुरित दुरिह दुराशय दुर्मति दान वदुत कृतांतमते |

जय जय हे महिषासुर मर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ||

अयि शरणागत वैरि वधुवर वीरवराभय दायकरे |

त्रिभुवन मस्तक शूल विरोधि शिरोधि कृतामल शूलकरे |

दुमिदुमितामर धुंदुभिनाद महोमुखरीकृत दिंडमकरे |

जय जय हे महिषासुर मर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ||

अयि निजहुड्कृति मात्रनिराकृत धूम्रविलोचन धूम्रशते |

समर विशोषित शोणितबीज समुद्रवशोणित बीजलते |

शिव शिवशुम्भ निशुम्भ महाहव तर्पित भूत पिशाचरते |

जय जय हे महिषासुर मर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ||

धनुरनुषंग रणक्षणसंडग परिस्फुरदंडग नटत्कटके |

कनक पिशडांग पृषत्कनिषडंग रसभ्दटश्रिडंग हताबटूके |

कृतचतुरडंग बलक्षितिरडंग घटद्बहुरडंग रटद्बटुके |

जय जय हे महिषासुर मर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ||

सुरललना ततथेयि तथेयि कृताभिनयोदर नृत्यरते |

कृत कुकुथः कुकुथो गडदादिकतालकुतुहल गानरते |

धुधुकुट धुक्कुट धिन्धिमित ध्वनि धीर मृदडंग निनादरते |

जय जय हे महिषासुर मर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ||

जय जय जप्य जये जय शब्द प्रस्तुति तत्पर विश्वनुते |

झण झण झिम झिम झिंगकृत नुपुर शिज्जित मोहित भूतपते |

नटीत नटार्थ नटी नट नायक नाटित नाट्य सुगानरते |

जय जय हे महिषासुर मर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ||

अयि सुमनः सुमनः सुमनः सुमनः सुमनोहर कान्तियुते |

श्रित रजनी रजनी रजनी रजनी रजनी करवक्त्र वृते |

सु नयन विभ्रमर भ्रमर भ्रमर भ्रमर भ्रमराधिपते |

जय जय हे महिषासुर मर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ||

सहित महाहव मल्लमतल्लिक मल्लितरल्लक मल्लरते |

विरचित वल्लिक पल्लिक मल्लिक झिल्लिक भिल्लिक वर्गवृते |

शीतकृत फुल्ल समुल्ल सितारुण तल्लजपल्लव सल्ललिते |

जय जय हे महिषासुर मर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ||

अविरलगंड गलन्मदमेदुर मत्तमतडंग जरा जपते |

त्रिभुवन भूषण भूतकलानिधि रूपपयोनिधि राजसुते |

अयि सुदतिजन लालस मानस मोहन मन्मथ राजसुते |

जय जय हे महिषासुर मर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ||

कमल दलामल कोमलकान्ति कला कलितामल भाललते |

सकल विलास कला निलयकम केलिचलत्कल हंसकुले |

अलिकुल सडंगकुल कुवलय मंडल मौलिमिलद्व कुलालिकुले |

जय जय हे महिषासुर मर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ||

करमुरलीरव विजित कुजित लज्जित कोकिल मंजुमते |

मिलित पुलिंद मनोहर गुज्जित रज्जित शैल निकुंजगते |

निजगण भूत महा शबरीगण सद्गुण संभृत केलितले |

जय जय हे महिषासुर मर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ||

कटीतटपित दुकूल विचित्र मयुख तिरस्कृत चंद्ररुचे |

प्रणत सुरासुर मौलीमणिस्फुर दंशुल संनख चंद्र रुचे |

जितकनकाचल मौलिमदोर्जित निर्भर कुज्जर कुम्भकुचे |

जय जय हे महिषासुर मर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ||

विजित सहस्रकरैक सहस्रकरैक सहस्रकरैकनुते |

कृतसुरतारक सडंगरतारक सडंगरतारक सुनुसुते |

सुरथ समाधि समानसमाधि समाधि समाधि सुजातरते |

जय जय हे महिषासुर मर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ||

पद्कमलम् करुणानिलये वरिवस्यति योनुदिनम् सुशिवे |

अयि कमले कमलानिलये कमलानिलयः सकथं न भवेत |

तव पदमेव परम्पदमित्यनु शिल्यतो मम किम् न शिवे |

जय जय हे महिषासुर मर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ||

कनकलसत्कल सिन्धुजलै रानुशिच्चति तेगुणरडंगभुवं |

भजति स किम् न शाचिकुच कुम्भतटी परिरम्भ सुखानुभवं |

तव चरणम् शरणम् करवाणी नतामरवाणी निवासि शिवम् |

जय जय हे महिषासुर मर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ||

तव विमलेन्दु कुलं वदनेंदुमलम् सकलं ननु कुलयते |

किमु पुरुहूत पुरिंदु मुखी सुमुखीभीरसौ विमुखी क्रियते |

मम तु मतं शिवनाम धने भवति कृपया किमुत क्रियते |

जय जय हे महिषासुर मर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ||

अयि मयि दीनदयालुतया क्रिपयैव त्वया भावित व्यमुमे |

अयि जगतो जननी क्रिपयासि यथासी तथानु मितासिरते |

यदुचितमत्र भवत्युररी कुरुता दुरुतापम पाकुरुते |

जय जय हे महिषासुर मर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ||

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