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Kanakadhara Stotram In Hindi PDF:
कनकधारा स्तोत्रम श्री बल्लभाचार्य द्वारा लिखा गया माँ लक्ष्मी जी का आशीर्वाद प्राप्त करने का एक शक्तिशाली स्तोत्र है | कनकधारा स्तोत्र का नियमित पाठ करने से तथा कनकधारा यन्त्र को धारण करने से धन सम्बंधित परेशानियां शीघ्र ही दुर हो जाती हैं |
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ओम् अंगहरै पुलक भूषण माश्रयन्ती भ्रिन्गागनैव मुकुला भरणं तमालम् |
अंगीकृताखिल विभुतिर पांगलीला मांगल्यदास्तु मम मंगल देवतायाः |
मुग्ध्या मुहुविर्दधती वदनै-मुरारै: प्रेमत्रपाप्रणी हितानि गतागतानि |
माला दशोर्मधुकर विम्होत्पले यासा मै श्रियम् दिशतु सागर सम्भवायाः |
विश्वामरेन्द्रपद विभ्रमदानदक्षमानंद हेतु रधिकम् मधु विद्विषोपि |
ईषन्नीषिदतुमयी क्षण मिक्षनार्धमिन्दोवरोदर सहोदर मिन्दिरायः |
आमिलीताक्षम धिगम्य मुदा मुकुंद मानन्दकंदम् निमेषमनंगतंत्रम् |
आकेकर स्थित कनी निकपक्ष्म् नेत्रम् भूत्यैभवेन्मम् भुजंगरायांगनायाः |
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बाह्यन्तरे मधुजितः श्रित कौस्तुभै या हारावलीव हरिनिलामायी विभाति |
कामप्रदा भगवतो पिकटाक्षमाला कल्याण भावहतु में कमलालयायाः |
कालाम्बुदालि ललितोरसि कैटभारेर्धराधरे स्फुरति या तडीदंगनेव |
मतुह समस्त जगताम् महनीय मुर्तिभाद्राणि में दिशतु भार्गव नन्दनायाः |
प्राप्तम् पदम् प्रथमतः किल यत प्रभावान्मान्गल्यभाजि मधुमाथिनि मन्मथें |
मध्यापतेत दिह मंथर मिक्षनार्ध मंदालसम् च मकरालय कन्यकायाः |
दद्याद दयानुपवनो द्रविणाम्बुधारा मस्मिन्न किंचन विहंग शिशो विषन्ने |
दुष्कर्म धर्मंपनीय चिराय दूरम् नारायणप्रणयिनी नयनाम्बुवाः |
इष्टा विशिष्टमतयोपि यथा ययार्द्रह्ष्टया त्रिविष्टप पदम् सुलभं लभन्ते |
दृष्टिः प्रहुष्ट कमलोदर दीप्ति रिष्टं पुष्टि क्रिशिष्टमम पुष्कर विष्टरायाः |
गिर्देवतैति गरुण ध्वज भामिनिती शाकम्भारीति शशिशेखर वल्लभेति |
सृष्टि स्थिति प्रलय केलिशु संस्थितायै तस्यै नमस्त्री भुवनैक गुरोस्तरुन्यै |
श्रुत्यै नमोस्तु शुभ कर्मफल प्रसुत्यै रत्यै नमोस्तु रमणीयगुणार्नवायै |
शक्तयै नमोस्तु शतपात्र निकेतानायै पुश्टै नमोस्तु पुरुषोत्तम बल्लभायै |
नमोस्तु नालीक निभाननायै नमोस्तु दुग्धौदधि जन्मभुत्यै |
नमोस्तु सोमामृत सोदरायै नमोस्तु नारायण बल्लभायै |
सम्पतकराणी सकलेंद्रिय नंदानि साम्राज्यदान विभवानि सरोरूहाक्षी |
त्व द्वन्दनानि दुरिताहरणा द्यतानि मामेव मातरनिशम् कलयन्तुनान्यम् |
यत्कटाक्ष समुपासना विधिः सेवकस्य कलार्थ सम्पदः |
संतनोति वचनांग मानसंसत्वाम् मुरारि हृद्येश्वरिम् भजे |
सर सिज निलये सरोज हस्ते धवलमान्शुक गंधमाल्य शोभे |
भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवन भूतिकरि प्रसीद मह्यं |
दग्धिस्तिमिः कनकुम्भमुखा व सृष्टि स्वर्वाहिनी विमलचारु जल प्लुतांगीम् |
प्रातर्नमामि जगताम् जननी मशेष लोकाधिनाथ गृहिणी मम्रिताब्धिपुत्रिम् |
कमले कमलाक्ष वल्लभे त्वं करुणा पुरतराम् गतैरपाडन्गै: |
अवलोकय माम किंचनानाम् प्रथमम् पात्रंकृत्रिमं दयायाः |
स्तुवन्ति ये स्तुति भूमिरंवहम् त्रयीमयीं त्रिभुवन मातरम् रमाम् |
गुणाधिका गुरुतर भाग्य भागिनो भवति ते बुध भावितायाः |
|| इति श्री कनकधारा स्तोत्रम् सम्पूर्णं ||
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